बसपा मतदाता बनेंगे निर्णायक
-पूर्व के चुनावों में सपा बसपा के मुख्य लड़ाई में भाजपा के मूल मतदाताओं द्वारा आमतौर पर बसपा का दिया जाता रहा है साथ
-बसपा कार्यकर्ताओं ने कहा अंतिम क्षण तक करेंगे इंतजार, बसपा हुई लड़ाई से बाहर तो भाजपा को समर्थन देना होगा हितकारी
–बसपा कार्यकर्ता ने कहा उपद्रवियों को रोकने के लिए भाजपा के साथ जा सकते हैं मूल मतदाता
जखनियां (गाजीपुर)। जनपद के जखनिया विधानसभा चुनाव में अब प्रचार के लिए महज 6 दिन ही शेष रह गए हैं। ऐसे में मतदाताओं के रूख व आम सर्वेक्षण के बाद एक बात खुलकर सामने आ गई है कि अब जखनिया विधानसभा में मुख्य लड़ाई भाजपा व सपा के मध्य रह गई है। ऐसे में बसपा मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करेंगे।
जखनिया विधानसभा क्षेत्र 373 में भाजपा द्वारा समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति के रूप में एक मूसहर जिसे आज भी समाज अपनी मुख्यधारा में प्रवेश तक नहीं करने देता। ऐसे व्यक्ति को टिकट देकर दबे कुचले वंचित व अतिपिछड़ों को सम्मान देने का कार्य किया गया। जो विधानसभा चुनाव के लिहाज से एक निर्णायक बढ़त के रूप में देखी गई। पार्टी के इस निर्णय पर बिल्कुल खरा उतरते हुए सहज स्वभाव के धनी रामराज मुसहर द्वारा भी
अपने संस्कार और व्यवहार के दम पर जन सामान्य से लेकर गणमान्य तक का दिल जीत लिया गया। लगातार क्षेत्र में अपनी उपस्थिति व पूर्व में दलित वंचित समाज के लिए किए गए उनके कार्यों की चर्चा के साथ ही उनका व्यवहार व पार्टी कार्यकर्ताओं का सहयोग वर्तमान में उन्हें इस स्थिति में पहुंचा दिया है कि अब भाजपा कार्यकर्ताओं को आजाद भारत के इतिहास में पहली बार जखनिया विधानसभा क्षेत्र से कमल खिलता नजर आने लगा। वहीं मुख्य विपक्षी दलों में टिकट वितरण के अंतिम दिन बसपा के स्थानीय प्रत्याशी का टिकट काटकर पूर्व विधायक विजय कुमार को टिकट दे दिया गया। लेकिन उनके नामांकन के 2 दिन पूर्व तक उनके द्वारा समाजवादी पार्टी में चक्कर लगाए जाने व सपा की सदस्यता बरकरार रखने की बात को बसपा कार्यकर्ता पचा नहीं पाए। जो उन्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में विजय कुमार लगभग मुख्य लड़ाई से बाहर नजर आने लगे है। समाजवादी पार्टी सुभासपा गठबंधन के रूप में जन चर्चाओं के अनुसार ₹10 करोड़ का चुनावी बजट लेकर मैदान में उतरने वाले प्रतियोगी परीक्षा सालवर गैंग सरगना जौनपुर निवासी बेदी राम को सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने ₹5 करोड़ 40 लाख लेकर टिकट दे दिया गया। ऐसे में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को यह निर्णय सांप छछूंदर जैसा नजर आने लगा। एक तरफ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता बेदी राम को पचा नहीं पाए वहीं
अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर उनका प्रचार प्रसार प्रचार करने को मजबूर नजर आए। लेकिन पिछले हफ्ते जखनिया के अलीपुर मदरा में आयोजित सपा सुभासपा गठबंधन रैली में दोनों पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की घटना आम हो गई। जो उनके मध्य और दूरी बनाने का ही काम किया।
जातीय समीकरण के आधार पर देखें तो एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के पक्ष में भाजपा प्रत्याशी बेदी राम के समर्थन में यादव व मुसलमान लामबंद होते नजर आए वहीं बसपा के आम मतदाताओं को छोड़ सभी वर्गों के लोगों द्वारा रामराज मुसहर को हाथों हाथ उठा लिया गया। ऐसे में जखनिया विधानसभा क्षेत्र में अब यह लड़ाई भाजपा व सुभासपा/सपा के बीच बन कर रह गई है। ऐसे में जखनिया विधानसभा में बसपा के परंपरागत मतदाता हरिजन की काफी बड़ी संख्या होने से वह निर्णायक भूमिका में आ गए हैं। बसपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता मीरपुर ओढ़ासन ग्राम प्रधान अभय कुमार की माने तो गत चुनाव में जब जब भाजपा कमजोर रही है व मुख्य मुकाबला सपा बसपा के बीच में रहा है तब बसपा को भाजपा मतदाताओं का सहयोग मिलता रहा है। ऐसे में इस बार बसपा भाजपा का हुआ कर्ज चुकाने के मूड में आ चुकी है। बसपा के मतदाताओं ने अभी मंथन करना शुरू कर दिया है कि यदि बसपा प्रत्याशी चुनावी मैदान से बाहर होता है तो उसी स्थिति में बसपा के मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में जाना ही हितकर साबित होगा। बसपा के ही एक अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता महेंद्र राम ने कहाकि राजनीतिक स्थितियां चाहे जो भी रही हो लेकिन क्षेत्र समाज में बसपा के मूल मतदाताओं को सबसे अधिक सपा के मूल कार्यकर्ताओं द्वारा ही प्रताड़ित किया जाता है। खेत से लेकर बाजार तक प्राय मारपीट पशु व जमीन के झगड़ों में भी उनके द्वारा उपद्रव बसपा के लोग भूल नहीं सकते। ऐसे में जखनिया विधानसभा क्षेत्र में अभी बसपा मतदाता अंतिम क्षणों तक यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि क्या वाकई बसपा चुनाव से बाहर है। यदि ऐसा हुआ तो बसपा के परंपरागत मतदाताओं का समर्थन भाजपा को प्राप्त हो सकेगा।