गाजीपुर।विधान सभा सुरक्षित जखनियां की एक रिपोर्ट भारतीय जनता पार्टी गाजीपुर जिले की सातों विधानसभा सीटें हार गयी है।बीजेपी जिला उपाध्यक्ष विपिन सिंह ने बताया कि चुनाव के दौरान विपक्षी पार्टियों द्वारा जातिगत रुप से इतनी वैमनश्यता फैला दिया गया कि हमारे कार्यकर्ता,आम जनता को समझाने में विफल हो गए।श्री सिंह ने बताया कि हमारे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की मेहनत में कोई कमी नहीं थी। बूथ स्तर से लेकर गांव स्तर तक हम लोगों ने कड़ी मेहनत की लेकिन जातिवाद के बीज से उपजे पौधे की जड़ इतनी मजबूत हो चुकी थी कि वोटरों के जेहन में सीधे विरोधी दलों के लोगों का नाम बैठ गया था।उन्होंने कहा कि सपा का गठबंधन इस बार चुनाव में हावी हो गया।इस बार भी भाजपा की प्रत्याशी बिना गठबंधन के चुनाव चुनाव लड़े थे और पिछली बार से कहीं अधिक वोट भी पाए लेकिन चुनाव हार गए।इसके लिए पार्टी के कार्यकर्ता व पदाधिकारियों का दोषारोपण करना अन्याय पूर्ण होगा।क्योंकि पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता दिन रात एक कर डोर टू डोर प्रचार प्रसार किया। जातिगत आंकड़े को देखने के बाद यह सच्चाई सामने आ रही है कि कुछ वर्ग विशेष के लोग इस बार के चुनाव में एकजुट होकर सपा के पक्ष में चले गए।यही नहीं उन्होंने सपा का पूरा साथ भी दिया।क्या वोटरों को अपने पक्ष में पदाधिकारी व कार्यकर्ता नहीं कर पाए? इस सवाल पर उन्होंने जवाब दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है।हमने पार्टी की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाया चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद से ही हमारा एक-एक कार्यकर्ता प्रचार प्रसार में लग गया था।कोई भी गांव ऐसा बाकी नहीं था जहां लगातार संपर्क नहीं किया गया फिर भी हम चुनाव हार गए हैं।तो इसकी मुख्य वजह जातिवाद आंकड़ा है हमारी पार्टी के लोग आंकड़े में सटीक नहीं बैठ पाए।जिसके चलते हम लोगों को हार का मुंह देखना पड़ा।उन्होंने बताया कि ऐसे कई जिले उदाहरण के तौर पर हैं जहां सपा का जातिगत आंकड़ा सटीक नहीं बैठ पाया।इसी के चलते उन्हें वहां हार का सामना करना पड़ा और भाजपा ने अपना परचम लहराया है।लेकिन दुख इस बात का है हमारे जनपद में जातिवाद इस बार के चुनाव में इतना मजबूत हो गया कि यहां से कोई भी सीट हम लोगों की पार्टी हासिल नहीं कर पाई।पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की कमी के सवाल पर उन्होंने सीधा जवाब दिया कि हम लोगों की तैयारी में कोई कमी नहीं थी।अगर ऐसा आरोप कोई लगा रहा है तो वह सरासर निराधार है।हम लोगों ने सामाजिक संतुलन के हिसाब से प्रचार प्रसार किया।अंत में जातिवाद हावी हो गया।जिसके चलते इस चुनाव में हमें शिकस्त मिली।