वाराणसी।डॉ संध्या यादवप्र सूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं पूर्व सीनियर रेजिडेंट चिकित्सा विज्ञान संस्थान बि एच यू ने विश्व मोटापा दिवस पर बताया कि (world obesity day) ०४ मार्च को लोगो को स्वस्थ वजन बनाए रखने के प्रति जागरूक रखने के लिए मनाया जाता हैं।इस दिन मोटापे से निपटने के विभिन्न तरीकों के बारे में दुनिया भर के लोगों को जागरुक किया जाता है।व्यस्त जीवनशैली तनाव और खानपान को लेकर लापरवाही मोटापे का प्रमुख कारण बनता जा रहा है।आसान शब्दों में मोटापा शरीर से आवश्यकता से अधिक भार हैं।बेडौल शरीर न सिर्फ महिला की सुन्दरता को खत्म करता है बल्कि कई बीमारियों की जड़ हैं।मोटापे में अप्रत्याशित वृद्धि से गर्भधारण में दिक्कतों के अतिरिक्त प्रसव भी जोखिममय होता है।महिलाओं में मोटापा प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।डब्ल्यूएचओ के अनुसार,मोटापे की दर 1975 के बाद से लगभग तीन गुना हो गई है।2016 में,1.9 अरब से अधिक वयस्क,18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के,अधिक वजन वाले थे।इनमें से 650 मिलियन लाेग मोटापे से ग्रसित थे।18 वर्ष और अधिक आयु के 39% वयस्क 2016 में अधिक वजन वाले थे।और 13% लाेग मोटापे से ग्रसित थे।5 साल से कम उम्र के 38 मिलियन बच्चे 2019 में अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रसित थे।5-19 आयु वर्ग के 340 मिलियन से अधिक बच्चे और किशोर 2016 में अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त थे।डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कैंसर के चार निरोध्य कारणों में से मोटापा एक है।यह स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर विषय है।इसके प्रमुख कारणों में जैसे कि उचित पोषक आहार न लेना,अधिक तैलिय पदार्थ या फास्ट फूड्स का सेवन,व्यायाम की कमी,तनाव एवं कई मामलों में अनुवांशिकता भी कारण हैं।मोटापा बढने से मधुमेह,अनिंदरा,ब्लडप्रेशर,हार्ट अटैक,थायरॉइड समस्या,ब्रेन स्टोन,कैंसर,अनिद्रा,जोडों और घुटनों की बीमारियां शुरू हो जाती हैं।मोटापा कम करने के लिए हमें अपने रोज के आहार विहार को ध्यान में रखना चाहिए। भोजन समय समय पर संतुलित तथा उचित मात्रा में लेना चाहिए।