सहजन,शहतूत और मूंगफली वनस्पतियों में कुपोषण दूर करने की क्षमता:गीता पाण्डेय 

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मऊ।आंगनवाडी कार्यकर्त्री एवं जनपद की कुशल समाज सेविका गीता पाण्डेय सामाजिक क्षेत्रों के साथ-साथ मानव का शरीर कैसे स्वस्थ्य रहे इसके प्रति भी समय समय पर सुलभ जडी़-बूटियों को औषधि के रुप में कैसे इस्तेमान किया जाता है बताती रहती हैं।श्रीमती पाण्डेय बतायी कि संतुलित आहार के अभाव में हमारे देश में कुपोषण की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है।प्रतिवर्ष भूखमरी और कुपोषण की स्थिति का आकलन करने वाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़ो में हमारे देश की उत्तरोत्तर भयावह तस्वीर उभर कर आ रही हैं। कुपोषण से निपटने के केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा तथा स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा विविध कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं परन्तु फिर भी भयावह स्थिति बनी हुई है। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की स्थिति अत्यंत चिंता जनक है। भारत में लगभग चालीस प्रतिशत महिलाएं रक्त अल्पता की शिकार हैं। कुपोषण की यह भयावह स्थिति महज आर्थिक विपन्नता के कारण ही नहीं है बल्कि पर्याप्त स्वास्थ्य जागरूकता के अभाव के कारण भी है।संतुलित आहार के अभाव में भारत में प्रत्येक वर्ष पाॅच वर्ष से कम उम्र के लाखों बच्चे काल कवलित हो जाते हैं और छठवां सावन और बसंत नहीं देख पाते हैं।कुपोषण की समस्या से जुड़े स्वास्थ्य सेवी इस भयावह स्थिति को आपात स्थिति के रूप मे मानते हैं।स्वास्थ्य शिक्षा और पोषक तत्वों की समुचित जानकारी द्वारा इस आपात स्थिति से तथा कुपोषण जैसी महामारी से निजात पाया जा सकता है।हमारे देश में हर तरह की जलवायु की वनस्पतियों पाई जाती है।कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक तथा कच्छ से लेकर कटचल तक कुदरत ने भारतीय बसुन्धरा को अद्भुत प्राकृतिक वनस्पतियों से सुसज्जित और सुशोभित किया है। उत्तर में हमारा विशाल हिमालय पर्वत सदियों से औषधि का कुटुंब कहलाता है।दक्षिण भारत में इलायची की पहाड़ियाॅ हजारों साल से विदेशी व्यापारियों के आकर्षण का केन्द्र रहीं हैं। इलायची की पहाड़ियों पर पाए वाले गरम मसाले अपने स्वाद और सुगंध के लिए वैश्विक स्तर पर मशहूर रहे है।अत्यंत प्राचीन काल से यह धारणा रही है कि-भारत की वनस्पतियों में औषधियों का भंडार है तथा कुपोषण दूर करने की भरपूर क्षमता हैं।हमारी थालियो-कटोरियों का सोलह श्रृंगार संतुलित आहार हमारे आस-पास पाई जाने वाली वनस्पतियों और पेड़-पौधों में भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं। परन्तु इनकी गुणवत्ता और पोषक क्षमता के ज्ञान के अभाव में हम कुपोषण की समस्या से जूझ रहे हैं। हमारे गाँव देहात में पाए जाने वाले सहजन ,शहतूत ,आम अमरूद, बेर ,जामुन सहित अनेक देशज फल और सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन विटामिन और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। व्यापक पैमाने पर पाए जाने वाले सहजन में न केवल अनगिनत बीमारियों का इलाज छिपा है बल्कि सहजन के फलफूल, पत्ती, तना इत्यादि से विभिन्न प्रकार की मिठाईयाॅ और व्यंजन बनाकर कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सकता है। मैंने स्वयं सहायता समूह बनाकर सहजन की पत्तियों फल फूल और तना से विविध प्रकार की मिठाईयाॅ चूर्ण बनाकर और सहजन के भोज्य पदार्थो को अपने व्यंजन प्रयोग करने का अभियान चला कर कुपोषण से निजात दिलाने का प्रयास किया। सहजन के विविध उत्पादों द्वारा अनेक गाँवो में चलाए गये अभियान को ग्रामीण जन जीवन में व्यापक स्वीकृति मिल रही हैं। हमारे क्षेत्र के अनेक गाँवों में सहजन के व्यंजनों का उपयोग निरंतर बढता जा रहा हैं।

सहजन की तरस गुड और चना में भी कुपोषण को दूर करने की भरपूर क्षमता हैं।गुड में पर्याप्त मात्रा में लोहांश पाया जाता हैं और चने में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व पाए जाते है।गुड और गुड से बने विभिन्न व्यंजनों द्वारा महिलाओं में बढती रक्त अल्पता की समस्या से निजात पाया जा सकता है। एक रोचक तथ्य हैं कि- एक समय ब्रिटेन की महारानी मेहमान नवाजी में मुजफ्फरपुर की भेली पेश किया करती थी। कोल्ड ड्रिंक और साफ्ट ड्रिंक के बढते शौक में गुड से बने शरबत और पेय पदार्थ हमारे चलन- कलन से बाहर हो गये। आज किशोरों युवकों और युवतियों में पाश्चात्य खान-पान शैली के तरफ तेजी से आकर्षण बढता जा रहा है जो कुपोषण का एक महत्वपूर्ण कारण हैं। देशज खान-पान छोड़ कर युवक और युवतियां फास्टफूड जंक फूड साफ्ट ड्रिंक और कोल्ड ड्रिंक की तरफ तेजी से आकर्षित हो रहें हैं। जिससे तेजी से युवक और युवतियों में कुपोषण की समस्या बढ रही हैं। लम्बे समय तक कुपोषित रहने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती हैं। जिससे शरीर में कई तरह की बीमारियां अपना घर बना लेती हैं। इसलिए युवक और युवतियों में फास्टफूड जंक फूड साफ्ट ड्रिंक और कोल्ड ड्रिंक के खतरों से सचेत करते हुए देशज खान-पान की आदतों का विकास करना होगा विशेष रूप से गुड चना इत्यादि को नाश्ते के रूप में सेवन करने का अभियान चलाया जाना चाहिए। हम सर्व सुलभ वनस्पतियों को भोज्य पदार्थ के रूप में ढाल कर भारत के प्रत्येक घर की प्रत्येक थाली की सजावट संतुलित आहार और पोषक तत्वों के आधार पर कर सकते हैं। भारत में नीबू संतरा आंवला जैसे खट्टे-मीठे फल और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता हैं जो मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। कोरोना संकट के समय देश के सुप्रसिद्ध चिकित्सकों द्वारा भोजन में विटामिन सी का प्रचुर मात्रा में प्रयोग करने की सलाह दी जा रही थी। इसी तरह बेर शहतूत केला अमरूद गाजर टमाटर मूली चुकंदर इत्यादि फल और सब्जियों को आहार तथा नाश्ते के रूप में शामिल कर कुपोषण की समस्या का समाधान कर सकते हैं। कुपोषण की समस्या को पूरी तरह समाप्त कर ही हम स्वस्थ समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण किया जा सकता है।