श्रवणडीह गांव में त्रेतायुग से श्रवण जी का मंदिर जीर्ण शीर्ण हाल में

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मरदह गाजीपुर।देश के सर्वोत्कृष्ट पवित्र धामों में अग्रणी महाहर धाम शिव मंदिर पौराणिक वेद पुराणों में विद्यमान हैं। महाहर धाम के दक्षिण दिशा में 4 किलोमीटर की दूरी पर श्रवण कुमार का जीर्ण-शीर्ण मंदिर आज भी है।और उस गांव का नामकरण श्रवणडीह के रूप त्रेतायुग से वेद पुराणों में जहां अंकित हैं वहीं दूसरी ओर राजस्व अभिलेख में भी दर्ज है।इस नाम का गांव पूरे भारत वर्ष में कहीं नहीं है।इसी स्थान से श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को कांवर में बैठाकर तीर्थ यात्रा के दौरान गुजर रहे थे की माता – पिता को प्यास लगने पर पास स्थित पुरईन झील के पास तालाब से कमण्डल में जल भरने हेतू आये थे।उस समय महाहर धाम स्थित महल में उपस्थित राजा दशरथ ने कमण्डल में पानी भरने की आवाज को जंगली जानवरों की आवाज समझकर शब्दभेदी बाण चला दिये जो श्रवण कुमार को जाकर लगी थी घायल होने के उपरांत उन्होने अपने प्राण तोड़ दिए थे,यह कहानी आज भी सर्वविदित है।जिनके नाम पर आज श्रवणडीह गांव आबाद है।