स्व.कामरेड इकबाल अहमद की तीसरी पुण्यतिथि मनाई जाएगी कल

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कासिमाबाद गाज़ीपुर।स्व.कामरेड इकबाल अहमद की तीसरी पुण्यतिथि कासिमाबाद ब्लाक के महाराणा प्रताप सभागार में 11 अक्टूबर 2022 को दिन मंगलवार 11:00 बजे से मनाई जाएगी उपचार की जानकारी उनके बड़े पुत्र एवं कार्यक्रम के संयोजक इरशाद अहमद ने दी है।स्व.नेता कामरेड इकबाल अहमद की एक झलक संघर्षों के आईने में स्व.अहमद अपने समय के गरीबों मजदूरों के संघर्षशील नेता थे धवल वस्त्रों में श्याम वर्ण सुशोभित साफ-सुथरी छवि के नेता रहे कामरेड इकबाल कभी भी किसी के लिए किसी भी समय चल पड़ते उनका अपना एक अलग ही स्वभाव था जो किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता था गरीबों और गरीबी के लिए सतत संघर्ष करते रहे कामरेड इकबाल अहमद भाइयों बहनों शिक्षकों बुद्धिजीवियों कलाकारों ने जवानों किसानों बुनकरों समाज सेवियो पत्रकारों श्रमिकों लोकगीत गायकों आदि के बीच रहकर 1957 से ही समाज की जो सेवा की वह काबिले तारीफ रही इनकी संघर्ष शीलता से प्रभावित होकर नेशनल इंटर कॉलेज की डिबेट सोसाइटी का मंत्री चुना गया भाकपा में उन्हें नौजवान सभा का जिला अध्यक्ष चुना गया कालांतर में भाकपा ने उन्हें राज्य काउंसिल सदस्य चुना अपने गांव ब्लॉक के भी नौजवानों के युवक मंगल दल के ब्लॉक अध्यक्ष चुने गए जिन्हें सरकारी खर्चे पर ऑल इंडिया टूर कराया गया निजाम हैदराबाद ने आंध्र प्रदेश में नौजवान सभा के राष्ट्रीय परिषद का सदस्य बनाया मास्को जाने के लिए दिल्ली में 40 दिन का क्लास किया किंतु जरूरी कारणों से नहीं जा सके खेत मजदूर यूनियन का सम्मेलन शार्ट लेक कोलकाता में हुआ जिसमें भाग लेकर वहां भी मंच से संबोधित किया तब खेत मजदूर यूनियन के राज्य काउंसिल सदस्य भी चुने गए वेगारों बेरोजगारों को काम दो अथवा बेकारी भत्ता दो के सवाल पर लखनऊ में विधानसभा पर प्रदर्शन करते समय घुड़सवार सिपाहियों ने दौड़ा-दौड़ा कर घायल कर दिया यही नहीं लाठीचार्ज भी कर दिया जिससे काफी चोटिल हो गए थे सन् 1970 में कामरेड पांडे के नेतृत्व में गांव की लगभग 110 बीघा जमीन संघर्ष पर वहां के राजभरों हरिजनों यादवों को कब्जा दिलाया आंदोलन में गिरफ्तार भी किए गए। बलिया जनपद के सुखपुरा में राजभरों के मकान सरकारी बुलडोजर गिरा रहे थे जिसको साथियों सहित संघर्ष कर रोक वादिया अपने जीवन काल में तत्कालीन प्रधानमंत्री हो विश्वनाथ प्रताप सिंह एच डी देवगौड़ा उप प्रधानमंत्री देवीलाल से मुलाकात कर जनहित के विशेष मुद्दे उठाए और समस्याओं का निराकरण भी करवाया । 1980 के दशक में गंगा जमुनी संस्कृति के वाहक रहे कामरेड इकबाल सोनबरसा गांव में रामलीला मंचन के दौरान उनका जेष्ठ पुत्र इश्तियाक अहमद विद्युत स्पर्श आघात की चपेट में आने से इंतकाल हो गया किंतु कामरेड उसे सांप्रदायिक मुद्दा बनने नहीं दिया जिसकी दोनों संप्रदाय के लोगों ने प्रशंसा की उस समय बीतने के बाद उसी दशक में उनका दूसरा पुत्र अरशद ब्रेन हेमरेज की चपेट में आने से चल बसा विपत्तियों का पहाड़ टूटने के बाद भी अपने पथ पर निरंतर चलते रहें और अपने स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं किया। सन 1981 में 8 अगस्त को बड़ौदा बहादुरगंज कताई मिल के उद्घाटन के समय मंच से विश्वनाथ प्रताप सिंह के साथ जनसभा को भी संबोधित करने के उपरांत अपना मांग पत्र भी दिया जिस को जनता ने सराहा 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के काफिले को रुकवाया कासिमाबाद में यहां की जनता की समस्याओं से अवगत कराया तब प्रधानमंत्री के आश्वासन के लिए भी उन्हें काफी सराहा गया 1990 में ही कामरेड इकबाल अहमद के नेतृत्व में कासिमाबाद तहसील के लिए सर्वदलीय मांग उठाई गई। 9 मार्च 1997 को मजदूरों के सवाल को लेकर कताई मिल के 28 मजदूरों के साथ जिला कारागार गाजीपुर में 1 माह तक बंद रहे। सन 2004 में महंगाई के सवाल को लेकर पूरे देश में आंदोलन चला तब केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार थी जिसमें गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन पर जबरदस्त प्रदर्शन के साथ रेल रोकने में टोकन गायब कर देने पर आधा दर्जन साथी नेताओं पर केस चला रेलवे सीजीएम वाराणसी कोर्ट में कई बार वारंट के बाद हाजिर हो गए तथा कोर्ट में साधारण जुर्माना लगाने के बाद कोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया। सन 2015 में कासिमाबाद को तहसील बनाने के लिए आंदोलन चला और सर्वदलीय मांग उठाई गई अंततः प्रदेश की सरकार ने राजस्व परिषद की बैठक में इस को मंजूरी दे दी 8 अगस्त 2016 को तहसील भी शुरू हो गई।स्वर्गीयअह मद के जुझारू तेवर और हरफनमौला की छवि के सभी लोग कायल थे चाहे राजनीतिक नेता हो प्रशासन और शासन के अधिकारी हो उन्हें सहज ही अधिकारियों और नेताओं का सानिध्य प्राप्त हो जाता था उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं जिसे लोग याद कर चर्चा करते रहते हैं वह अंततः पूरे जीवन काल संघर्ष करते हुए 1 अक्टूबर 2019 को बीमार पड़े तो पास के जनपद मऊ में फातिमा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां आईसीयू से 10 दिन रहने के बाद जीवन मृत्यु से संघर्ष करते हुए 11 अक्टूबर को वाराणसी के लिए रेफर होने पर वाराणसी ले जाते समय रास्ते में ही अपनीइह लीला समाप्त कर दी।